रांची। शहर के लोकप्रिय समाजसेवी एवं पर्यावरणप्रेमी तुषार कांति शीट ने दीपावली के शुभ अवसर पर लोगों से एक दीया जरूरतमंदों की मदद और आपसी प्रेम-सौहार्द के लिए भी जलाने की अपील की है। श्री शीट ने कहा है कि दीपावली के मौके पर अपनी जिंदगी रोशन करने के साथ-साथ दूसरों के जीवन में भी थोड़ी रोशनी लाना हमारा दायित्व है। किसी भी व्यक्ति की जिंदगी में खुशियों की रोशनी भरने का मौका हमें गंवाना नहीं चाहिए।
उन्होंने कहा कि दीपावली के दुष्परिणामों से बचने के लिए पर्यावरण के अनुकूल ग्रीन दीपावली मनाएं। चार-पांच दशक पूर्व दीपावली त्यौहार के स्वरूप पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व में मिट्टी के दीपक से प्रकाश का त्यौहार मनाया जाता था। कुम्हारों के चाक से बने दीपक घरों को जगमग करते थे। घी-तेल के जलते दीपों से पर्यावरण भी स्वच्छ रहता था। धीरे-धीरे यह परंपरा समाप्त होने लगी और दीयों की जगह बिजली का झालर ने ले लिया। उन्होंने कहा कि ज्योति पर्व दीपावली की वास्तविक चमक-दमक व रौनक दीयों में ही है।
उन्होंने दीपावली के अवसर पर अधिक से अधिक ग्रीन पटाखे का उपयोग करने की लोगों से अपील की। श्री शीट ने बताया कि राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान द्वारा आविष्कार किए गए ग्रीन पटाखों से प्रदूषण काफी कम होता है। इससे 40 से 50 फीसदी तक कम हानिकारक गैस उत्सर्जित होता है। ग्रीन पटाखों के उपयोग से सामान्य पटाखों के दमघोंटू धुएं का सामना नहीं करना पड़ता है।
उन्होंने बताया कि सामान्य पटाखे हवा में प्रदूषण की मात्रा को बढ़ा देते हैं। इससे श्वसन संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। श्वसन तंत्र कमजोर होता है। सामान्य पटाखों की अनावश्यक मांग न सिर्फ पर्यावरण, बल्कि पटाखा बनाने वाले कारीगरों के जीवन को भी खतरे में डाल रही है। पर्यावरण स्वच्छ रहे, इस दिशा में हमें प्रयासरत रहना चाहिए। अधिक से अधिक ग्रीन पटाखों का उपयोग और सामान्य पटाखों से परहेज ही हमें पर्यावरण प्रदूषण से काफी हद तक मुक्ति दिलाने में सहायक हो सकेगा।
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