मौलाना आजाद ह्यूमेन इनिशिएटिव व साझा मंच झारखंड के संयुक्त तत्वाधान में गाँधी जयंती पर दो कार्यक्रम दो सत्र में आयोजित किये गये
राँची : मौलाना आजाद ह्यूमेन इनिशिएटिव व साझा मंच झारखंड के संयुक्त तत्वाधान में गाँधी जयंती के शुभ अवसर पर दो कार्यक्रम दो सत्र में आयोजित किये गये। पहले सत्र में स्लम क्षेत्र के बच्चों के बीच "गाँधी को जानें" के विषय पर एक क्विज़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 5 से 13 वर्ष के 50 बच्चों ने हिस्सा लिया। गाँधी की जीवनी और उनके स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को लेकर कई प्रश्न पूछे गए, बहुत सारे बच्चों ने पूछे गए सवालों का उत्साह पूर्वक सही जवाब दिए और पुरुष्कार के हक़दार बने। क्विज़ प्रतियोगिता में शामिल बच्चों में काफ़ी उत्साह देखा गया। बड़ी संख्या में छोटी बच्चियों ने भी दिलचस्पी दिखाई और गाँधी से संबंधित सवालों के जवाब दिए। आज जबकि गाँधी के विचार कहीं अधिक प्रासंगिक है, ऐसे में बच्चों को उनके विचार से परिचय कराना धर्मनिरपेक्ष भारत और परस्पर सद्भाव के लिए अनिवार्य हो गया है। क्विज़ प्रतियोगिता का संचालन मोहम्मद इक़बाल ने किया। क्विज़ प्रतियोगिता के पूर्व इन्होंने बच्चों के समक्ष सरल शब्दों में गाँधी की जीवनी को रखा।
दूसरे सत्र में सेमिनार का आयोजन "गाँधी के विचार अमर हैं" विषय पर किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर हरविंदर वीर सिंह ने किया एवं मंच का संचालन सरफ़राज़ अहमद सुड्डू ने किया। इस अवसर पर प्रोफेसर हरविंदर वीर सिंह, ज्योति मथारू, सुधांशू शेखर, ब्रम्हानंद दुबे, डॉक्टर शमसेर आलम राही, यासमीन लाल, शगुफ़्ता बानो वगैरह वक्ता के तौर पर अपने विचारों को रखा। वक़्ताओं ने कहा कि " गाँधी के विचार अमर हैं, न इसे मारा जा सकता है और न ही समाप्त किया जा सकता है। गाँधी के विचार से ही देश को एकता के सूत्र में बांधे रखना संभव है। फासीवादी ताक़तें स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही धर्म निरपेक्ष विचारों के विरुद्ध अंग्रेजों के साथ खड़े रहे। जिन संघी मानसिकता ने शहीदे आज़म भगत सिंह को फाँसी के तख़्ते तक पहुँचाया, वही शक्ति आज भी भारत को विखंडित करने में सक्रिय है। ऐसी ताक़तों को गाँधी के अहिंसक विचारों से ही परास्त किया जा सकता है।"
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए "माही" के संयोजक इबरार अहमद ने कहा कि "गाँधी के विचारों को जन-जन तक पहुँचाना जरूरी है और इसका सबसे सशक्त माध्यम नई नस्ल के हमारे बच्चे हैं। बच्चों को इतिहास का ज्ञान होना जरूरी है ताकि वह अपने देश के नायकों को जान सकें और गाँधी के विचारों को प्रचार-प्रसार में अपनी भूमिका निभाएं।
इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ताओं में मोहम्मद मोइनुद्दीन, हाजी नवाब, मोहम्मद शकील, ख़ालिद सैफुल्लाह, मोहम्मद सलाहुद्दीन, मोहम्मद ख़लील, नदीम अख़्तर, अर्शद शमीम, नूर आलम, कामरान अहमद, मोहम्मद नजीब, मोहम्मद वसीम, नूर हसन लाल, साबिर अंसारी, मोहम्मद मीर, मोहम्मद मोहसिन, मोहम्मद यासिर, मोहम्मद जुनैद और माही के प्रवक्ता मुस्तक़ीम आलम मौजूद थे।
0 Comments