रांची। बीते 4अक्टूबर 22 को हिंदपीढ़ी स्थित इसलिमी मरकज में सुन्नी बरेलवी सेंट्रल कमेटी के द्वारा बैठक आयोजित किया गया था। उक्त बैठक में शामिल एदारे शरीया के सदर हज़रत मौलाना कुतुबुद्दीन रजवी, मोहर्रम सेंट्रल कमेटी के महासचिव अकील रहमान,डा मौलाना ताजुद्दीन और प्रवक्ता की भूमिका में रहनेवाले मो. इस्लाम आदि के द्वारा सामूहिक रूप से लिए गए निर्णय का जिसमें इन लोगों ने सामुहिक रुप से कहा कि जेएससीए स्टेडियम रांची में भारत अफ्रीका का मैच को देखते हुए 9 अक्टूबर 2022 को ईदमिलादुन्नबी का जुलूस नहीं निकाला जाएगा।इस बयान का वेब पोर्टल पर आते ही नबी मुहम्मद सल.के दिवानों ने जिसमें हजारों की संख्या में विभिन्न मस्जिदों के इमाम, मौलाना, मुस्लिम संगठनों के बुद्धिजीवी वर्गों ने बैठक कर सुन्नी बरेलवी सेंट्रल कमेटी के निर्णयों का न सिर्फ विरोध किया बल्कि इस कमेटी में निर्णय लेनेवालों के पदाधिकारियों का समाजिक विरोध करने की मांग करते हुए इस कमेटी को भंग कर नयी कमेटी बनाने का निर्णय लिया और जुलूस ए मुहम्मदी सल.अलैहिवसस्लम का उसी पुरानी रुटों से सुबह करीब दस बजे से जुलूस निकालने को लेकर निर्णय किया,जो सीधे डोरंडा स्थित उर्स मैदान में जमा होंगे और जलसा के बाद करीब बाद नमाज अस्र समय करीब चार से पांच बजे तक समापन की घोषणा कर दी जायेगी।
किसने क्या कहा:
सर्वप्रथम 5 अक्टूबर 22 को कांटाटोली कुरैशी मोहल्ला स्थित जामा मस्जिद के इमाम ओ खतीब मंजूर हसन बरकाती की अध्यक्षता में बैठक मदरसा फैजुल अनवार में हुई, जिसमें विभिन्न मस्जिदों के इमाम खतीब मौलाना और मुस्लिम सामाजिक संगठनों के लोग सुबह 10:00 बजे एकत्रित हुए इस बैठक में मंजूरी हसन बरकाती ने सामूहिक रूप से निर्णय लेते हुए ईद मिलादुन्नबी का जुलूस निकालने पर फैसला लिये और जिसने विरोध किया उसका सामाजिक विरोध करने और नयी कमेटी बनाने की बात रखी, जिसपर सभी ने इस फैसले का स्वागत किया। झारखंड प्रदेश जमीयतुल कुरैश के अध्यक्ष मुजीब कुरैशी ने कहा कि जश्न ए ईदमिलादुन्नबी 60 के दशक से हमारे कुरैशी मोहल्ला से ही हमारे पूर्वज कुरैशी समाज से छोटे पैमाने पर निकलता था,जो कुरैशी मोहल्ला,गढ़ा टोली, कांटाटोली, चौक, इदरीश कालोनी, मौलाना आजाद कॉलोनी,फिर गुदरी चौक और पहली बार 79 में कांटाटोली कुरैशी मोहल्ला से निकलकर, गुदरी चौक से, कर्बला चौक,रतन टाकीज से दाहिने तरफ मुड़कर सीधे शहीद अल्बर्ट एक्का चौक तक गया था।
उस जमाने में सिर्फ ईदमिलादुन्नबी जुलूस,सरहूल और रामनवमी का जुलूस निकलता था। 1995 तक जुलूस ए मोहम्मदी बड़े पैमाने पर निकलने लगा।अलग झारखंड निर्माण के बाद और वृहद हो गया। इतना ही नहीं 2017 में पहली बार ईदमिलादुन्नबी जुलूस ए मोहम्मदी के दिवानों पर तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कराये थे।अब सेकुलरिज्म कहे जाने वाली इस सरकार में जिला प्रशासन हमारे एकता, भाईचारे के प्रतीक नबी सल.अलैहिवस्लम के जुलूस पर रोक लगाना चाहती हैं,जो संभव नहीं है, मुख्यमंत्री के करीबी से मेरी बात हुई है मुख्यमंत्री को भी अवगत कराया जायेगा,और जैसे जुलूस ए मोहम्मदी निकलती रही है आगे भी शान शौकत से निकलेगा।
रिसलदार बाबा दरगाह कमेटी के अध्यक्ष हाजी रउफ़ गद्दी ने कहा
सुन्नी बरेलवी सेंट्रल कमेटी के सभी मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी,मो.इस्लाम को जहां देखें वहीं समाजिक विरोध करें। एदर ए शरीया का भी नये सिरे से गठन होगा।
हाजी सम्सू खान सुटी ने कहा पहले उन चारों का समाजिक बहिष्कार हो और जुलूस ए मोहम्मदी कैसे निकले इस पर सहमति बने।
अंजुमन इस्लामिया नुरिया के अध्यक्ष हाजी साउद खान ने कहा हमारे मदरसा में शाम को बैठक हुई ,जिसमें कई संगठनों के लोग थे, सभी का यही फैसला आया है कि जुलूस ए मोहम्मदी निकलेगा, हां इसमें मोटरसाइकिल में कोई नहीं जायेगा,पैदल रहेंगे,हर मस्जिद के इमाम अपने अपने क्षेत्र में वालिंटियर रखेंगे,हमारा जुलूस हमेशा शांति पूर्ण रहा है। वहीं मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी,मो.इस्लाम का विरोध करें।
समाजिक कार्यकर्ता मो मोइनुद्दीन ने कहा जिला प्रशासन को इस जुलूस ए मोहम्मदी की जानकारी दिया जाये।
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