रांची: जाफरी एजुकेशनल एंड वेलफेयर मिशन के तत्वाधान में ऑल इंडिया नातिया मुशायरा आज दिनांक 29 अक्टूबर 2022 को अंजुमन पलाज़ा हॉल में आयोजित किया गया। अपने अध्यक्षीय भाषण में मौलाना हाजी सैयद तहजिबूल हसन रिजवी ने कहा की सिरातुन्नबी पर उस वक्त तक मुसलमान अधूरा है जब तक कि उसके अंदर वहदत( एकता) का जज्बा नहीं पाया जाता। जब तक आपसी भाई चारे को बढ़ावा नहीं दिया जाता उस वक्त तक नफरत खत्म नहीं हो सकता। वहीं मुख्य वक्ता पटना से आए हुए मौलाना अनिसुर रहमान कासमी उपाध्यक्ष ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल ने अपने संबोधन में कहा कि आपसी इत्तेहाद को वक्त की जरूरत समझना चाहिए। अगर हम सच्चे आशिक ए रसूल बन जाए तो हमारा बेड़ा पार हो जाए। तो फिर नफरत नहीं लोगों के बीच मोहब्बत बाटेंगे। मोहब्बत से मुल्क की फिजा भी अच्छी हो जाती है।
मौलाना शाह हसीन अहमद सज्जादा नशीन शाह अरजानी पटना ने सीरत ए रसूल को मुसलमानों के लिए आइडियल और नमूना बताते हुए कहा कि अगर हम सच्चे आशिक ए रसूल बन जाए तो दुश्मन कभी अपनी साजिश में कामयाब नहीं हो सकता। मौलाना असद रजा पटना ने इस जलसे को इतिहासिक जलसा बताते हुए कहा कि यह जलसा देश की एकता और अखंडता के लिए जरूरी है। मुशायरे मैं हिंदुस्तान के मशहूर शायरों ने अपना अपना कलाम पेश किया और एक समा बांधा।
डॉक्टर नायब बलियावी ने पढ़ा की हाथ में पत्थर लहू पर नारा ए तकबीर है, ए मुसलमान जहां में कैसी तेरी तस्वीर है। डॉक्टर माईल चंदौली ने पढ़ा की हुआ गरकाब तूफा खुद जनाब नूह का बेटा, नबी को छोड़कर अंजाम अच्छा हो नही सकता। हाफिज स्लीम नबीना ने कहा की नबी के इश्क में गुजरे वो जिंदगी दे दे, भुला सके ना ज़माना वो बंदगी दे दे। शबरोज कानपुरी ने पढ़ा की मुखालिफो के तरफ से जो आए थे पत्थर, नबी ने इनको भी कलमा पढ़ा कर भेज दिया। शबाब जलालपुरी ने पढ़ा की जो भी रसूल पाक का प्यारा नही हुआ, अल्लाह की कसम वो हमारा नही हुआ। वही अमीर गोपालपुरी ने पढ़ा की वो जिसमे सब्र व कनाअत के फूल खिलते है, जहां में ऐसा मेरा रसूल का है। इस मुशायरे में ऋषि पांडे राजू पांडे, सोहेल सईद ने कलाम पेश किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर शमीम हैदर पूर्व निदेशक रिम्स ने की और संचालन सैयद निहाल हुसैन सरैयावी ने किया। प्रोग्राम की शुरुआत कारी तौहीद की तिलावते कुरान से हुआ।
आए हुए सभी अतिथियों का इस्लामिक स्कॉलर मौलाना सैयद मूसवी रजा बैच लगा कर स्वागत किया इस मुशायरा में मौलाना सैयद मूसवी रजा हुसैनाबाद, मौलाना आरिफ हुसैन दिल्ली, मौलाना काजिम रजा वाराणसी, मौलाना इतरत हुसैन चंदन पट्टी, मौलाना नसीरूल मेहंदी वाराणसी, शामिल रिजवी वाराणसी खासतौर से उपस्थित होकर कार्यक्रम को सराहा।
कार्यक्रम को सफल बनाने वालो में सैयद समर अली, सैयद निहाल हुसैन, यावर हुसैन, मौलाना दानिश रजा, कमर अली, सैयद फ़राज़ अब्बास, फराज अहमद, जीशान हैदर, शमशेर अली, पत्रकार आदिल रशीद की अहम भूमिका रही। मौके पर समाजसेवी खुर्शीद हसन रूमी,सेंट्रल मुहर्रम कमिटी के अकील उर रहमान, सैयद नेहाल, नवाब अली, हैदर अली, हाजी हलीम, अब्दुल मन्नान, अब्दुल खालिक, मुस्ताकीम आलम, अरंगजेब खान, नफीसुल आबादीन, मास्टर उस्मान, सरफराज, सैयद हसनैन जैदी, शहर और आसपास के सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
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