सांप्रदायिक सद्भाव देश और समाज की अखंडता और अस्तित्व के लिए समय की आवाज है: अजहर कासमी
रांची: राष्ट्रीय अध्यक्ष मुस्लिम मजलिस उलेमा झारखंड के मुफ्ती अब्दुल्लाह अज़हर कासमी ने कहा कि देश और समाज के विकास के लिए एकता राष्ट्रवाद समय की आवाज है। इतिहास गवाह है की देश की आज़ादी सभी मजहब के लोगो ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। आजादी आंदोलन के महान नेता मौलाना अबू अल कलाम ने एक मौके पर कहा था कि देश की आजादी के लिए अगर हमें 100 वर्ष इंतजार करना पड़े तो हमे मंजूर हैं। लेकिन अगर विदेशी शक्ति संयुक्त राष्ट्रीयता को समाप्त करके देश को स्वतंत्रता देना चाहती है, तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे और न ही हम ऐसी स्वतंत्रता को सहन करेंगे।
वैश्विक स्तर पर भारत का गंगा जमनी सभ्यता का एक अभूतपूर्व और अद्भुत इतिहास रहा है।आजादी के बाद देश साम्प्रदायिक और धार्मिक आग में झुलसता रहा है, लेकिन देश के ज्ञानी विद्वानों और अन्य धर्मों के नेताओं ने हर नाजुक मोड़ पर इसका अंत किया है। आज भारत में इस बात की प्रबल भावना है कि नई पीढ़ियों के बीच, अतीत के इतिहास के आलोक में, नए भारत के निर्माण और विकास में उनकी सकारात्मक सोच होनी चाहिए। ताकि अन्य धर्मों और राष्ट्रों के बीच सहिष्णुता, भाईचारा, शांति और प्रेम का माहौल बना रहे। अपने बयान में एमए अजहर कासमी ने कहा कि भारत की आजादी में समाज के सभी वर्गों ने अद्वितीय भूमिका और बलिदान दिया है। अपने पुरखों, पूर्वजों और धर्मगुरुओं के इतिहास का अध्ययन करना नई पीढ़ी के लिए अनिवार्य और जरूरी है ताकि वे अपने कदमों को आगे बढ़ा सकें।
देश में इस समय समाज के सभी कमजोर वर्गों को शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक स्तर पर एक-दूसरे की मदद के लिए हाथ बढ़ाना चाहिए। मुस्लिम मजलिस उलेमा झारखंड अपनी सेवाभाव के अभाव में अखंड राष्ट्रीयता और साम्प्रदायिक सदभावना के लिए नियमित रूप से सम्मेलन, गोष्ठी और बैठकें कर रहा है। जरूरी है कि समाज का बुद्धिमान तबका मजलिस की आवाज का जवाब दे और देश की भलाई के लिए आगे बढ़े।
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