उर्दू भाषा के विकास के लिए गंभीरता से प्रयास करना होगा:डॉ ए बासित
राँची: अंजुमन फरोग ए उर्दू के तत्वावधान में विश्व उर्दू दिवस के अवसर पर मौलाना आजाद स्टडी सेंटर, मेन रोड रांची में सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें नेट/जेआरएफ की तैयारी करने वाले छात्रों ने भाग लिया और कार्यक्रम को सफल बनाया। सेमिनार की शुरुआत रौनक जहां द्वारा कुरान ए पाक की तिलावत के साथ हुई। जिसके बाद सदफ कायनात ने उर्दू पर एक कविता सुनाई। सेमिनार में मकाला निगारी का भी आयोजन हुए जिसमें कई लोगों ने भाग लिया। सबसे पहले मासूमा परवीन ने उर्दू है मेरा नाम शीर्षक से अपनी खुद की लिखी मकाला सुनाई।
उन्होंने अपने मकाला के द्वारा उर्दू की स्थिति की समीक्षा की और बताने की कोशिश की कि उर्दू भाषा की दुर्दशा के लिए हम खुद जिम्मेदार हैं। मुहम्मद सोहेल अख्तर ने अपनी थीसिस (मकाला) में यह साबित करने की कोशिश की कि उर्दू एक जीवित भाषा है और इस भाषा को कभी मिटाया नहीं जा सकता। शबनम परवीन ने भी उर्दू भाषा से संबंधित अपना मकाला पेश किया। सेमिनार की अध्यक्षता डॉ. अब्दुल बासित ने की। संचालन मो इक़बाल ने किया। अपने अध्यक्षता भाषण में कहा कि उर्दू धर्म या क्षेत्र विशेष की भाषा नहीं है। हमारे इतिहास, सभ्यता और अहम कारनामों के साक्ष्य इसी भाषा में संरक्षित हैं।
उर्दू भाषा की रक्षा और विकास के लिए गंभीरता से प्रयास करना होगा। उर्दू के विकास के लिए हमें अपने घरों से कोशिश करनी होगी, हमें अपने बच्चों को उर्दू पढ़ाना होगा एवं उर्दू की शिक्षा को आम करना होगा। उन्होंने कहा कि उर्दू हमारे देश की भाषा, हमारी सभ्यता और संस्कृति है। हमें इसकी सुरक्षा खुद करनी होगी।
सेमिनार में डॉ. मो हैदर, दानिश अयाज, कारी मो आरिफ, मो गालिब निश्तार, डॉ. शगुफ्ता बानो अब्दुल अहद आदि उपस्थित थे।
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