हेमंत सरकार के द्वारा मानवधिकारों का हनन हो रहा: अंजुमन इस्लामिया रांची
मानवधिकारों का हनन करना और रांची में हुई 10 जून की घटना का इंसाफ़ नही मिलना
आज अंतरराष्ट्रीय मानवधिकार दिवस पर अंजुमन इस्लामिया रांची द्वारा एक परिचर्चा का आयोजन अंजुमन इस्लामिया मोसाफिर ख़ाना, मेन रोड़, रांची में किया गया है,जिसका शीर्षक "अंतरराष्ट्रीय मानवधिकार दिवस पर झारखंड में हमलोगों की स्थिति" था. परिचर्चा की अध्यक्षता अंजुमन इस्लामिया रांची के अध्यक्ष मोख्तार अहमद ने कि जबकि संचालन अंजुमन के कार्यकारणी सदस्य मो जावेद अख़्तर,विषय प्रवेश सह स्वागत मानवधिकार कार्यकर्ता नदीम खान एवं धन्यवाद ज्ञापन अंजुमन इस्लामिया रांची के महासचिव डॉ तारिक़ अहमद ने की.
परिचर्चा की शुरुआत संविधान की प्रस्तावना से हुई जिसको मिल्लत एकेडमी स्कूल की छात्राओं ने की एवं क़ुरान की सूरा से सम्पन्न हुई. परिचर्चा में मानवधिकार कार्यकर्ता सिराज दत्ता ने मानवधिकार पर विस्तृत जानकारी दी,परिचर्चा में पीड़ितों द्वारा आपबीती बताई जिसमें पुलिस हाज़त में हुए आज़ाद बस्ती,रांची के मृतक ज़लील अंसारी की विधवा ने बताई मग़र आज तक इंसाफ़ नही मिला है,झारखंड में महागठबंधन के राजनैतिक दलों से एक मुस्लिम उम्मीदवार देने के नाम पर संवैधानिक-लोकतांत्रिक- शांति बैठक के नाम 13 मुस्लिम प्रतिष्ठित आंदोलनकारियों- सामाजिक लोगों पर प्राथमिकी दर्ज़ करना मग़र आज तक इंसाफ़ नही मिला,
परिचर्चा में अतिथियों ने कहा कि मानवधिकार समाज का आईना होता है, सरकार ही सबसे ज़्यादा मानवधिकार का हनन करती है,बल्कि हेमंत सरकार में भी मानवधिकार का हनन आज भी जारी है,मानवधिकार समाज का आईना होता है,जिसका उदहारण है धर्म,नस्ल,भाषा,लिबास एवं खानने पीने के नाम पर मानवधिकारों का हनन करना तभी तो रांची में हुई 10 जून की घटना का इंसाफ़ नही मिलना,झारखंड भर में अब तक हुई मोब लिंचिंग पर किसी को इंसाफ़ और सरकारी राहत नही देना,झारखंड भर में हुए शाहीनबाग़ के बाद दंगा-फ़साद, झारखंड में कस्टोडियाल डेथ,भूख से मौत,डायन-बिसायन के नाम पर हत्या,झारखंड समेत रांची के अधिक्तर थानों में ही मानवधिकारों का हनन होते रहता है,जिसमें आम नागरिकों का एक प्राथमिकी भी दर्ज़ करने में पहाड़ चढ़ने जैसी स्थिति रहती है,जबकि पूर्व डीजीपी के द्वारा कहा भी गया था पुलिस पीपुल फ्रीडली हो मग़र नतीजा सामने हर दिन समाज में आते रहता है,हेमंत सरकार में मानवाधिकार आयोग,अल्पसंख्यक आयोग,महिला आयोग,सूचना आयोग ही नही बनना भी उद्धरण है.जबकि हमलोग हेमंत सरकार से उम्मीद करते है कि मानवधिकारों के हनन को रोका जाए और मानवधिकारों की रक्षा कर हर स्तर पर इंसाफ़ दिलाया जाए,वरना इस प्रगतिशील,लोकतांत्रिक,सेक्यूलर,समाजवादी,साम्यवादी,जल-जंगल-ज़मीन वाली गठबंधन हेमंत सरकार से भी मानवधिकारों के बिना लोकतंत्र बेमानी समझी जाएगी. झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र 19-23 दिसंबर में न्याय पसंद राजनैतिक दल एवं विधायक इन सब मुद्दों को हल कराते. इस परिचर्चा में मुख्य अतिथि कॉमरेड मनोज भक्त,राज्य सचिव,भाकपा माले झारखंड,विशिष्ट अतिथि अधिवक्ता फ़ादर महेंद्र पीटर तिग्गा,निदेशक,हॉफमैन लॉ एसोसिएट, सिराज दत्ता,मानवधिकार कार्यकर्ता (झारखंड जनाधिकार महासभा),रतन तिर्की(पूर्व टीएसी,झारखंड सरकार),अलोका कुजूर,महिला अधिकारों पर कार्यरत,
अफ़ज़ल अनीस,महासचिव,यूएमएफ़ झारखंड,मुफ़्ती अब्दुल्ला अज़हर(मुस्लिम मज़लिस ए उल्लेमा झारखंड),मज़दूरनेता भुनेश्वर केवट,मो जियाउल्ला अंसारी(मानवधिकार कार्यकर्ता, एपीसीआर),अशरफ़ हुसैन(निदेशक, मिल्लत एकेडमी स्कूल),अधिवक्ता इम्तियाज अशरफ़,शायर सोहैल सईद,एजाज अनवर(झारखंड आंदोलनकारी),प्रोफेसर इलियास मजीदी,अंजुमन इस्लामिया रांची के नूर आलम,शहज़ाद बब्लू,साज़िद उमर,मो लतीफ़ एवं सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर शाहनवाज़ अब्बास,मो बब्बर,शोएब अंसारी,पत्रकार इमरान,पत्रकार मोकार्रम आदि उपस्थित थे.
0 Comments