इंसान पद से नहीं अपने चरित्र से ऊंचा होता है: मौलाना तहबिहुल हसन
पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्त रज़ी की याद में सभा का आयोजन
रांची: मस्जिद जाफरिया रांची झारखंड में झारखंड के प्रिय पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्त रजी के इसाले सवाब(कुरान खानी) के लिए अंजुमन जाफरिया के द्वारा मजलिस का आयोजन किया गया। इस मजलिस को हजरत मौलाना हाजी सैयद तहजिबुल हसन रिजवी इमाम व खतीब मस्जिद जाफरिय ने इस सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सैयद सिब्त रजी साहब एक ऐसी शख्सियत का नाम है जो अपने पद से नहीं बल्कि अपने चरित्र से पहचाने गए।
झारखंड के राजभवन को अमीरों की नहीं बल्कि आम लोगों की पहचान बनाया। वह आम इंसान की तरह लोगों के दुख-दर्द में शामिल रहे। यही हजरत मौला अली की(सीरत) जीवनी है। सैयद सिब्त रजी साहब के इखलाक का कोई बदल नहीं। जो राज्यपाल भी हो और आम जनता के लिए दिल में उतना ही दर्द हो। उन्होंने झारखंड के सैछनिक केंद्रों को प्रज्वलित किया। पद पर रहते हुए सैयद सिब्त रजी ने अपने धर्म और आस्था से कोई समझौता नहीं किया। चाहे मर्सिया गोई हो या जिक्र अहल-बैत। सब में बढ़ चढ़ कर भाग लेकर ज़माने को पैगाम दिया कि जो व्यक्ति अपने धर्म के प्रति निष्ठावान नहीं हो सकता, वह समाज, देश, किसी के प्रति भी निष्ठावान नहीं हो सकता।
सैय्यद सिब्त रज़ी एक ईमानदार और सच्चे इंसान का नाम था। इस मौके पर सैयद सिब्त रजी के समय एडीसी रहे और अब रांची के आईजी शमश तबरेज ने कहा कि सैयद सिब्त रजी अखलाक व मरवत का आइना थे। वह अपने काम के प्रति भी काफी जिम्मेदार थे। उनको हमेशा आवाम की चिंता रहती थी।
वहीं सेंट्रल मुहर्रम कमेटी के महासचिव अकील-उर-रहमान ने कहा कि गवर्नर तो कई देखे, लेकिन सिब्त रज़ी साहब जैसा गवर्नर नहीं देखा। जिन्होंने आम इंसान के दर्द और पीड़ा को परिवार के सदस्य की तरह समझा। इस मौके पर एसएम अब्बास ने अपने करीबी रिश्ते का जिक्र करते हुए कहा कि सैयद सिब्त रजी एक ऐसे शख्स थे जो उनसे एक बार मिलता हमेशा उनसे मिलने की इच्छा रखता। शोक कविता प्रोफेसर आगा ज़फ़र, सैयद नेहाल हुसैन, सैयद अमूद अब्बास, कासिम अली, सैयद बाकर रज़ा। इस मौके पर एसएच फातमी, इकबाल हुसैन फातमी, सैयद फराज अब्बास, हाजी हलीम, अब्दुल मन्नान, अब्दुल खालिक, सैयद मेहदी इमाम, हाजी इकबाल हुसैन, अशरफ हुसैन, जावेद हैदर, अता इमाम रिजवी, वकील अहमद, सैयद नदीम हुसैन रिजवी, जफरूल हसन, कासिम रजा, सैयद फ़राज़ अहमद काजमी, मौलाना सैयद बाकर रजा दानिश, सैयद समर अली, अमूद अब्बास, समेत कई लोग मौजूद थे।
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