यूनिसेफ ने किशोर-किशोरियों की शिक्षा एवं सुरक्षा को लेकर कार्यशाला का आयोजन

 


यूनिसेफ ने किशोर-किशोरियों की शिक्षा एवं सुरक्षा को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया

यूनिसेफ ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग तथा महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग के सहयोग से किशोर-किशोरियों की शिक्षा एवं सुरक्षा के मुद्दे पर परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया

17 दिसंबर 2022: यूनिसेफ झारखंड ने महिला एवं बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग तथा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सहयोग से आज रांची के होटल हॉलिडे होम में किशोर-किशोरियों की शिक्षा एवं सुरक्षा के मुद्दे पर एडोलसेंट समिट का आयोजन किया। कार्यक्रम में 100 से अधिक किशोर-किशोरियों, शिक्षकों, प्रशिक्षकों तथा विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया। झारखंड के विभिन्न स्कूलों के लगभग 52 किशोर-किशोरियों, 50 प्रशिक्षकों तथा विभिन्न कर्तव्यधारकों जैसे कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) के शिक्षकों, नेहरू युवा केंद्र (एनवाईकेएस) के वोलेंटियर्स, स्वयंसेवी संगठनों, जिला शिक्षा पदाधिकारियों, डीसीपीयू अधिकारियों, एसजेपीयू के नोडल आॅफिसर्स, जेएसएलपीएस, जेसीइआरटी, जेईपीसी तथा जेएससीपीएस के प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में भाग लिया। इस समिट का उद्देश्य किशोर-किशोरियों की शिक्षा एवं सुरक्षा के मुद्दे को लेकर उनकेे समक्ष उपस्थित चुनौतियों के बारे में चर्चा करना और उसका समाधान खोजना था। चाइल्ड पेनलिस्ट क्रीति तिर्की, अनुराधा, गुलशन कुमार तथा प्रशिक्षक रानी, नरेश और अरूणा ने इस दौरान अपने अनुभव साझा किए। 

‘जागरिक’ पहल के माध्यम से यूनिसेफ और उसकी सहयोगी संस्था ने लगभग 1800 किशोर-किशोरियों को अपने साथ जोड़कर उन्हें संवैधानिक साक्षरता पर प्रशिक्षित किया है, ताकि उन्हें उनके अधिकारों, कर्तव्यों, बाल अधिकारों तथा लैंगिक असमानता जैसे मुद्दों के प्रति जागरूक करके समाज में परिवर्तन का वाहक बनने में मदद किया जा सके। ‘जागरिक’ का निर्माण जागरूक एवं नागरिक शब्द को जोड़कर किया गया है, जिसका अर्थ है जागरूक नागरिक।
कार्यक्रम में श्री के. रवि कुमार, सचिव, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग; श्रीमति राजेश्वरी बी. निदेशक, आईसीपीएस, महिला एवं बाल विकास तथा सामाजिक सुरक्षा विभाग;  डॉ. कनीनिका मित्र, प्रमुख, यूनिसेफ झारखंड; श्री कार्तिक एस.; एसपी, सीआईडी; प्रीति श्रीवास्तव, बाल संरक्षण विशेषज्ञ, यूनिसेफ; पारुल शर्मा, शिक्षा विशेषज्ञ, यूनिसेफ; आस्था अलंग, संचार विशेषज्ञ, यूनिसेफ; दानिश खान, सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन विशेषज्ञ, यूनिसेफ; जेसीइआरटी से प्रीति मिश्रा; रांची लाॅ यूनिवर्सिटी की डा. श्यामला के अलावा, शिक्षा विभाग एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने भी भाग लिया। 
 स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विकास विभाग के सचिव श्री के. रवि कुमार ने कहा, “किशोर-किशोरियां बदलते विश्व में बड़े हो रहे हैं। प्रौद्योगिकी, पलायन, जलवायु परिवर्तन जैसे कारक समाज को एक नया रूप दे रहा है। बदलती चुनौतियों के बीच खुद को अपडेट बनाए रखने के लिए, किशोरों को अवसरों का उपयोग करने तथा चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होना चाहिए। उन्हें समुदाय में सक्रिय रूप से अपना योगदान देने के लिए शिक्षा और कौशल की आवश्यकता है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए झारखंड सरकार के द्वारा मुख्यमंत्री शिक्षा प्रोत्साहन योजना (एमएमएसपीवाई), एकलव्य प्रशिक्षण योजना (ईपीवाई), गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना (जीएससीसीवाई) तथा मुख्यमंत्री सारथी योजना (एमएमएसवाई) जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं।’’


इस अवसर पर बोलते हुए, यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख डॉ कनीनिका मित्र ने कहा, “जब किशोर-किशोरियां सामाजिक परिवर्तन में योगदान करते हैं, तो पूरे समुदाय को लाभ होता है। नागरिक जुड़ाव में बच्चों की भागीदारी उनके शैक्षणिक तथा कौशल विकास में सुधार करती है जिसमें सशक्तिकरण, नेतृत्व और आत्म-सम्मान जैसे गुण भी शामिल हैं, जो उनके समग्र कल्याण और संभावनाओं को बढ़ावा देता है। वे अपनी शिक्षा, स्वास्थ्य तथा रोजगार के संबंध में लिए गए निर्णयों से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं। लेकिन अक्सर उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया से बाहर रखा जाता है। किशोरों के पास उनके अपने जीवन तथा समुदाय को आकार देने वाली नीतियों एवं कार्यक्रमों को लेकर अपने विचार होते हैं। उनकी बातों को सुना जाना चाहिए। सरकारों एवं व्यापार जगत के साथ जुड़कर प्रभावित करने वाले मामलों पर अपने विचार रखने का उन्हें अधिकार है।‘‘
उन्होंने आगे कहा, “यूनिसेफ राज्य सरकार, स्वयंसेवी संगठनों, पंचायती राज संस्थाओं, समुदायों, परिवारों एवं किशोर-किशोरियों के साथ सहयोग एवं कार्य करके उनके विकास एवं सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है। ऐसी ही एक पहल है ‘जागरिक बनें’, जो कि किशोर-किशोरियों की नागरिक भागीदारी और जुड़ाव को मजबूत करने के लिए है। जागरिक टूलकिट, किशोर-किशोरियों के बीच अधिकारों एवं कर्तव्यों के साथ-साथ लैंगिक जागरूकता पर फोकस करते हुए उनमें संवैधानिक साक्षरता को बढ़ावा देता है और उन्हें परिवर्तन का वाहक बनने की उनकी क्षमता को विकसित करने में मदद करता है।’’
श्रीमति राजेश्वरी बी. निदेशक, आईसीपीएस, महिला एवं बाल विकास तथा सामाजिक सुरक्षा विभाग ने किशोर-किशोरियों के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने के महत्व पर जोर दिया, ताकि वे निर्णय ले सकें और अपने विकास और सशक्तिकरण के लिए कार्य करने में सक्षम हो सकें। उन्होंने कहा, ‘‘दुव्र्यवहार के मामलों से निपटने के दौरान कर्तव्यधारियों के लिए संवेदनशीलता के साथ कार्यक्रमों को लागू करना और बाल अनुकूल प्रक्रियाओं को लागू करना महत्वपूर्ण है। सरकार के द्वारा बहुत सारी पहल प्रारंभ की गई हैं, लेकिन कठिन परिस्थितियों और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को सहायता प्रदान करने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। किशोरों के विकास और सशक्तिकरण के लिए माता-पिता का सहयोग, जागरूकता और संवेदनशीलता भी बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे कारक जो बाल तस्करी, बाल श्रम और बाल विवाह, बाल यौन शोषण आदि की ओर ले जाते हैं और बच्चों को शिक्षा प्रणाली से बाहर करते हैं, उनके तत्काल समाधान करने की जरूरत है। जागरूकता कार्यक्रमों तथा किशोरों, माता-पिता और समुदायों को एक साथ जोड़कर तथा शिक्षकों, पुलिस, बाल संरक्षण कार्यकर्ताओं की सक्रिय भूमिका के माध्यम से इसका समाधान किया जा सकता है।’’ 
‘जागरिक’ पहल के बारे में जानकारी देते हुए यूनिसेफ की बाल संरक्षण विशेषज्ञ, प्रीति श्रीवास्तव ने कहा, “यूनिसेफ ने  वर्ष 2019 से ही स्वयंसेवी संगठनों के साथ साझेदारी में इस पहल को शुरू करने के लिए ‘कम्यूटिनी- द यूथ कलेक्टिव’ के साथ साझेदारी की है। इस पहल को 2022 में चयनित जिलों में शिक्षा विभाग, एनएसएसएस और एनवाईकेएस के सहयोग से सभी कस्तूरबा गांधी विद्यालयों चलाया गया था। झारखंड यूथ कलेक्टिव के माध्यम से 1800 किशोर-किशोरियों को जागरिक कार्यक्रम से जोड़ा गया है। केजीबीवी, एनवाईकेएस और एनएसएस के शिक्षकों और फैसिलिटेटर्स के साथ अब तक रांची में सात क्षमता निर्माण कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं और उन्हें ‘जागरिक’ टूलकिट पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। यह टूलकिट चुनौतीपूर्ण सामाजिक मानदंडों - बाल विवाह, अंधविश्वास, लैंगिक असमानता, आदि को समाप्त करने पर  पदाधिकारियों, माता-पिता, शिक्षकों, समुदाय के सदस्यों और सहकर्मी समूहों के साथ साझेदारी में काम करने के अवसर पैदा करता है।’’
श्री अभय नंदन अंबष्ट, संयुक्त सचिव, महिला एवं बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग ने विशेष रूप से वंचित समुदायों के किशोर-किशोरियों के लिए डब्ल्यूसीडी विभाग द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रमों, योजनाओं और दिशानिर्देशों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि, झारखंड सरकार ने विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों को एक सुरक्षात्मक वातावरण प्रदान करने के लिए कई पहल की हैं। सरकार ने हाल ही में सावित्रीबाई फुले किशोरी योजना जैसी योजनाओं को मंजूरी दी है, जिसके माध्यम से 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद एक लड़की को सरकार से 40,000 रुपये मिलेंगे। इस योजना का उद्देश्य बालिकाओं की शिक्षा को प्रोत्साहित करना और कम उम्र में विवाह पर रोक लगाना है। उन्होंने 75,000 से कम वार्षिक आय वाले आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों के किशोर-किशोरियों को उनके परिवार के साथ रहने और शिक्षा जारी रखने तथा उनकी अन्य बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्पांसरशिप योजना के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि बच्चों और किशोरों के लिए सुरक्षित माहौल बनाना बहुत जरूरी है। घर में, स्कूल में, खेल के मैदान में, समुदाय में, या संस्था में सभी जगह उन्हें सुरक्षा मिलनी चाहिए। कानूनों, अधिकारों और कर्तव्यों, अधिकारों, सेवाओं और योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना और बाल संवेदनशील तरीके से इन प्रावधानों तक पहुंच में सुधार करना उनके सशक्तिकरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर सीआईडी के एसपी श्री कार्तिक एस. ने बच्चों को हिंसा से बचाने, बाल विवाह को रोकने और उसकी रिपोर्टिंग के लिए सीआईडी द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी।
सीआईपी की क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट सुश्री अलीशा ने मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक सपोर्ट के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने किशोरों और देखभाल करने वालों के लिए टेली परामर्श और भावनात्मक सहयोग के बारे में चर्चा करते हुए ‘टेली मानस पहल’ पर जानकारी साझा की।

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