कांग्रेस पार्टी झारखण्ड ने अपना असली चेहरा जाहिर कर दिया: कासमी
झारखण्ड में मुस्लिम नेतृत्व अपना राजनतिक रणनीति तैयार करेगा: मजलिस उलेमा
झारखंड में मुसलमानों का कोई भी पार्टी हितैषी नहीं: मुफ्ती अब्दुल्लाह
रांची: झारखण्ड में मुसलमान शैक्षणिक, सामाजिक, राजनैतिक, एवं आर्थिक तौर पर दिनों दिन पिछड़ते चले जा रहें हैं। झारखण्ड स्थापना के आज 22 साल होने के बावजूद भी सभी राजनैतिक दलों ने सिर्फ मुसलमानों की हालात सुधारने के लिए उनके साथ सहानुभूति जताई और उनका वोट लेकर उन्हें ठेंगा दिखाने का काम किया है। झारखण्ड में मुसलमानों का कोई भी पार्टी हितैषी नहीं है। उक्त बातें मुस्लिम मजलिस उलेमा झारखंड के केंद्रीय अध्यक्ष मुफ्ती अब्दुल्लाह अज़हर कासमी ने कही। वह गुरुवार को होटल शाह रेसीडेंसी में प्रेस कांफ्रेंस में बोल रहे थे। श्री कासमी ने आगे कहा की आज मुसलमानों की शैक्षणिक, सामाजिक, राजनैतिक, एवं आर्थिक स्थिति दयनीय है। जब 2006 में सच्चर कमिटी की रिपोर्ट आयी थी और मुसलमानों के बारे में बताया गया कि उनकी शैक्षणिक, सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक स्थिति दलितों एवं पिछड़ों से भी बदतर है। तब उस वक्त सनसनी फैल गई थीं और सभी राजनीतिक दलों ने मुसलमनों पर अपनी सियासी रोटी सेकनी शुरू कर दी। आज भी उनकी शैक्षणिक, सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक स्थिति पहले की मुकाबले और भी खराब होती चली जा रही है। ऐसी परिस्थिति में झारखण्ड में मुस्लिम नेतृत्व की सख्त जरूरत आ पड़ी है। इस लिए अब मुसलमान किसी के धोखे में आने वालें नहीं है। चाहे कांग्रेस, राजद, जेएमएम, सीपीआईएम बीजेपी चाहे जो भी राजकीय या केन्द्रीय पार्टी हो मुसलमानों ने सभी को आजमा कर देख लिया है।
सभी पार्टियों ने सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों के साथ धोखा किया है और उनका वोट लिया है। झारखण्ड में मुसलमानों का 18 से 20 प्रतिशत वोट किसी भी पार्टी को कामयाब करने के लिए, इतनी बड़ी वोट बैंक रहते हुए भी मुसलमान आज दुसरी सियासी पार्टी का सिर्फ झंडा ढोने का काम कर रहे हैं। झारखंड में मुसलमानों ने बहुत ही जोश खरोश के साथ महागठबंधन को इस उम्मीद पर वोट दिया था कि उनके तमाम समस्याओं का हल चाहे शैक्षणिक, सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक कोई भी समस्या हो हल कर दिया जाएगा।लेकिन महागठबंधन की सरकार ने न तो आज तक वक्फ बोर्ड उर्दू एकेडमी, अल्पसंख्यक आयोग अल्पसंख्यक वित्त निगम आयोग, बुनकरों के बोर्ड का गठन के अलावा बहुत से सारे सुलगते हुए समस्याओं पर आज भी हुकुमत अपने कान में तेल डालकर सो रही है। अब यह बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। प्रेस कांफ्रेंस में मौलाना तौफीक अहमद कादरी, कारी जान मोहम्मद मुस्तफी शहर क़ाज़ी रांची, अब्दुल मन्नान अध्यक्ष जमीयतुल इराकीन रांची, शोएब खान अध्यक्ष पठान तंजीम, मो नसीम सचिव फतुल्लाह मस्जिद, मंसूर आलम, हाफिज शकील अहमद, हाफिज आरिफ समेत कई लोग थे।
यह भी रखी मांगे (1) झारखण्ड मदरसों और अल्पसंख्यक समुदाय के सभी शैक्षणिक संस्थान को अल्पसंख्यक दर्जा होने का प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु उक्त सभी संस्थानों का और मदरसों का यथा शीघ्र अनापति प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जा रहा है। (2) झारखण्ड में अब तक एक अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय का स्थापना नहीं किया गया है। (3) अल्पसंख्यक समुदाय के हुनर पेशा बिरादरियों जैसे बुनकर, दर्जी, धुनिया, चुडिहारा, रंगरेज, हव्वारी इत्यादि के हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए कॉपरेटिव सोसाईटी की स्थापना नहीं किया गया। (4) अल्पसंख्यक आयोग और वक्फ बोर्ड के सशक्तिकरण के लिए उनके वित्तीय स्कीम को यथासंभव नहीं बढ़ाया गया। (5) अल्पसंख्यक अयोग और वक्फ बोर्ड के जो पर रिक्त है उसमें सामाजिक हित के सुयोग्य लोगों को चयनित कर बहाल किया और उनके लिए मुसलमानों के सक्रिय सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों के राय जरूर लिया जाए।
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