इस्लाम नगर में खेला : 1100 मकान तोड़े, 444 की बनायी सूची, 291 के लिए बना फ्लैट
विशेष रिपोर्ट: गुलाम शाहिद
रांची: इस्लामनगर के विस्थापितों को 300 वर्गफीट का फ्लैट मिलेगा। इसमें एक बेड रूम, हॉल, किचन, बाथरूम होगा। पॉलिटेक्निक संस्थान से ली गई करीब तीन एकड़ जमीन पर कुल चार ब्लॉक में फ्लैट बनकर तैयार हैं। नगर विकास विभाग की एजेंसी जुडको ने अपार्टमेंट का निर्माण कराया है। सर्वे के बाद जिला प्रशासन ने 444 लाभुकों की सूची तैयार की, लेकिन इसमें भी खेला हो गया. जिनके घर टूटे, उनमें से ज्यादातर के नाम इस सूची में शामिल नहीं किये गये. वहीं, मात्र 291 लोगों के लिए ही फ्लैट बनाया गया है l रांची जिला प्रशासन ने अप्रैल 2011 में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाकर इस्लामनगर के 1100 से ज्यादा कच्चे- पक्के मकानों को जमींदोज कर दिया था. प्रशासन की इस कार्रवाई से बेघर हुए लोगों ने हाइकोर्ट की शरण ली. हाइकोर्ट ने आदेश दिया कि बेघर हुए लोगों को उसी जमीन पर फ्लैट बनाकर उन्हें बसाया जाये l लेकिन इस्लाम नगर के गरीब बेघर मुस्लमान 12 सालों से आशियाने के इंतजार में बैठे हैं. लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम की लापरवाही के कारण उन्हें मकान नहीं मिला है. स्थिति तब है जब हाई कोर्ट ने 13 महीने में पुनर्वास कराने का आदेश दिया था. कहते हैं इंसान को सबसे ज्यादा दुख तब होता है, जब उसका आशियाना कोई छीन लेता है. कुछ ऐसा ही रांची के इस्लामनगर में रहने वाले करीब 500 परिवारों के साथ हुआ. .इस्लाम नगर के पीड़ित परिवारों को पिछले 12 सालों से आशियाना नहीं मिला है. स्थिति यह है कि घर के इंताजर में आंखें पथरा गई हैं और झोपड़ी में रहने को मजबूर है़ और स्थानीय नेता चुप तमाशा देख रहे हैं l सालों से पूर्व उजाड़े गए इस्लाम नगर के विस्थापितों को बसाने की कवायद में स्थानीय कुछ तथा कथित ने अड़चन उत्पन्न कर दी है। लोगों ने आगे कहा कि सीएम रघुवर दास 28 जनवरी 2018 को 444 विस्थापितों को घर दिये जाने की योजना का शिलान्यास किया था । इसके लिए लगभग 33 करोड़ रुपये की राशि से फ्लैटों के निर्माण का काम पूरा हो गया है l हालांकि वर्तमान में सिर्फ ब्लॉक-2 के तहत कुल 240 आवासों का ही निर्माण कार्य कराया गया है। शेष जमीन पर अतिक्रमण के कारण 204 आवासों का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है। बे घर मुसलामानों के आंसू पोछने के बजाय पार्षद वोट जुगाड़ की राजनीति में सक्रिय है l
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