बांझपन का इलाज संभव : हकीम मौलाना अब्दुल्ला

 


आयुर्वेदिक औषधियों से बांझपन का इलाज संभव : हकीम मौलाना अब्दुल्ला

बीस नि:संतान दंपत्ति को मिला संतान सुख 

  रांची/चतरा। बांझपन का इलाज आयुर्वेदिक पद्धति से भी काफी कारगर है। प्राचीनतम आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति (दुर्लभ जड़ीबूटियों) से भी निसंतान दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है। उक्त बातें चतरा जिला अंतर्गत बालूमाथ प्रखंड के सेरेगड़ा निवासी हकीम मौलाना अब्दुल्ला ने कही।



 उन्होंने मंगलवार को राजधानी रांची में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में भी बांझपन की समस्या का समाधान संभव है। बशर्ते अनुभवी और आयुर्वेदिक औषधियों के जानकार वैद्य-हकीम (चिकित्सक) की देखरेख में इलाज हो। 

 उन्होंने दावा किया कि बांझपन की समस्या से पीड़ित दंपत्तियों को आयुर्वेद आधारित जड़ी-बूटियों (दवाओं) द्वारा इलाज से तीन महीने में परिणाम सामने आ जाता है। समस्या के आधार पर पीड़ित को एक सप्ताह या एक महीने तक दवाओं का इस्तेमाल करना होता है। 

दवा देने के पूर्व मौलाना अब्दुल्ला बांझपन से पीड़ित दंपति को सामने बैठाकर उनकी काउंसलिंग करते हैं। समस्याओं से संबंधित जानकारियां हासिल करते हैं। तत्पश्चात उन्हें आयुर्वेदिक औषधियां (जड़ी-बूटियां) देकर उसका सेवन करने की सलाह देते हैं।

  उन्होंने बताया कि अब तक वे 20 ऐसे निसंतान दंपत्ति को संतान सुख देने में सफल हो चुके हैं, जो संतान सुख से वंचित थे। 

हकीम मौलाना अब्दुल्ला ने बताया कि बांझपन सहित अन्य जटिल व असाध्य बीमारियों (बवासीर, पथरी, धात रोग, गुप्त रोग आदि) से पीड़ित मरीजों का भी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के माध्यम से जड़ी-बूटियों द्वारा  सफल इलाज करते हैं।

वह इस दिशा में लगभग 8-9 साल से सेवारत हैं। उन्होंने बताया कि पेड़-पौधों से उन्हें बचपन से ही लगाव रहा है। जड़ी-बूटियों के प्रति भी बड़े बुजुर्गों के अनुभवों के संपर्क में रहकर उन्होंने जानकारियां हासिल की है। बांझपन के कारगर इलाज के कारण क्षेत्र में वह काफी लोकप्रिय भी हैं। पलामू प्रमंडल के चंदवा, सिमरिया, चतरा, हजारीबाग, गढ़वा, गिरिडीह आदि जगहों से  उनके पास मरीज आते हैं।



उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक दवाएं जटिलतम रोगों के इलाज में काफी कारगर होती है। इसका ज्ञान उन्हें विभिन्न पुस्तकों के जरिए प्राप्त हुआ है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा चतरा में हुई। वहीं से उन्होंने जामिया रसीद उल उलूम (मुस्लिम समुदाय की उच्च शैक्षणिक संस्था) से आलिम (स्नातकोत्तर के समकक्ष) की डिग्री हासिल की। वह अपना गुरु व आदर्श चतरा के स्वर्गीय मौलाना मोइन साहब को मानते हैं, जिनके दिशा-निर्देश और मार्गदर्शन से उन्हें पग-पग पर सफलताएं हासिल होती रही।

 हकीम अब्दुल्ला जामिया रशीद उल उलूम के प्रिंसिपल मुफ्ती नजरे तौहीद मजाहिरी को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं, जिनके मार्गदर्शन में उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली।

 मौलाना अब्दुल्लाह ने बताया कि अद्भुत विलक्षण प्रतिभा के धनी चमत्कारी महापुरुष स्वर्गीय हजरत मौलाना जुल्फिकार साहब की उन्होंने सेवाएं की, जिनकी दुआएं उनके सिर पर हमेशा रहती है। 
 मौलाना ने बताया कि विशेष रूप से संतान सुख से वंचित दंपत्ति उनके मोबाइल संख्या 97718 08299 पर भी संपर्क कर परामर्श और दवाइयां ले सकते हैं।

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