झारखंड में लगातार वैश्यों एवं व्यवसायियों को अपराधियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है. कई मामलों में तो पुलिस भी वैश्य और व्यवसायियों को प्रताड़ित करते हुए दिख रही है. लेकिन अफसोस की बात है कि मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन और राज्य सरकार तो छोड़ दीजिए, वैश्य कोटे के मंत्री, सांसद और विधायक भी चुप्पी साध कर सब कुछ चुपचाप तमाशा देख रहे हैं. हाल के दिनों में ही कुछ घटनाओं को देखें- * गत 23 दिसंबर की रात को रांची के कांके थाना क्षेत्र के चौड़ी गांव में कुछ अपराधी किस्म के लोगों ने फिल्टर पानी का व्यवसाय करने वाले श्री रितेश साहु को हरवे हथियार से हमला कर बुरी तरह घायल कर दिया. यह हमला जान मारने की नीयत से ही किया गया था, लेकिन रांची के एक बड़े अस्पताल में कई दिनों तक इलाज कराने के बाद रितेश साहु अभी चलने-फिरने के लायक हुआ है. इस संबंध में कांके थाना में केस दर्ज किया गया है, लेकिन अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है. वे खुलेआम वहीं घूम रहे हैं. * इसी तरह गत दिनों गुमला के पालकोट में अपराधियों ने व्यवसायी सुमित केशरी को मार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था, जिसकी अब रांची में इलाज के दौरान मौत हो गई है. * सप्ताह भर की बात है कि रामगढ़ के रजरप्पा कोलियरी में मजदूर नेता एवं सूचना अधिकार कार्यकर्ता श्री रमेश विश्वकर्मा की अपराधियों ने हत्या कर दी, लेकिन अब तक अपराधी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. * इसके पूर्व रामगढ़ में एक व्यवसायी-ठेकेदार श्री दिव्यांशु साहा पर अपराधियों ने गोली चला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था. काफी इलाज के बाद श्री साहा की जान बची. * और आज जो सूचना मिल रही है कि हजारीबाग में पुलिस कस्टडी में एक व्यवसायी सुनील कुमार गुप्ता की मौत हो गयी है. स्वाभाविक है पुलिसिया जुल्म का यह मामला है. और भी अनेकों मामले एवं घटनायें पूरे राज्य में हो रही हैं, जो यह बताता है कि वैश्यों और व्यवसायियों को कैसे निशाना बनाया जा रहा है और विभिन्न दलों में जो वैश्य कोटे से पद धारण किये हुए हैं और सत्ता का मलाई खा रहे हैं. लेकिन वैश्यों पर हो रहे शोषण-दमन, अत्याचार, हत्या, लूट, सरकारी उपेक्षा की घटनाओं से इन्हें कोई मतलब नहीं है. वैश्य मोर्चा विगत 15 वर्षों से वैश्य समाज की हितों की रक्षा, सुरक्षा, मान सम्मान की लड़ाई लड़ती आ रही है और आगे भी जारी रखेगी.
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