प्रगतिशील पशुपालकों के लिए व्यावसायिक डेयरी फार्मिंग विषयक एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित
डेयरी फार्मिंग लाभप्रद व्यवसाय : मुकुल प्रसाद सिंह
दुग्ध उत्पादन में झारखंड को आत्मनिर्भर बनाने की पहल : मिथिलेश प्रसाद सिंह
विशेष संवाददाता
रांची। झारखंड सरकार के गव्य विकास विभाग के सौजन्य से राजधानी के धुर्वा (शालीमार) स्थित प्रशिक्षण एवं प्रसार संस्थान (किसान प्रशिक्षण केंद्र) के सभागार में मंगलवार को प्रगतिशील पशुपालकों के लिए व्यावसायिक डेयरी फार्मिंग विषयक एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ उप निदेशक डॉ.मनोज तिवारी,सेवानिवृत्त डेयरी अधिकारी मुकुल प्रसाद सिंह, सेवानिवृत्त डेयरी पदाधिकारी रबिन्द्र कुमार सिन्हा, झारखंड मिल्क फेडरेशन के मिथिलेश प्रसाद सिंह, राहुल वर्मा, इन्टास के सत्यप्रकाश, डॉ विवेक कुमार सिन्हा, सेवानिवृत्त डेयरी पदाधिकारी अशोक कुमार सिन्हा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर किया।
सेमिनार में सेवानिवृत्त डेयरी पदाधिकारी मुकुल कुमार सिंह ने पशुपालकों को दुग्ध उत्पादन में वृद्धि संबंधी महत्वपूर्ण बिंदुओं और तथ्यों से अवगत कराया। श्री सिंह ने पशुपालकों को डेयरी फार्मिंग के माध्यम से अधिक आय अर्जित करने के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियां दी। उन्होंने कहा कि डेयरी फार्मिंग सामाजिक व आर्थिक सशक्तिकरण में काफी सहायक है। इसके माध्यम से अधिक लाभ अर्जित किया जा सकता है। श्री सिंह ने डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीकों की जानकारी देते हुए प्रगतिशील पशुपालकों को इस क्षेत्र में बढ़-चढ़कर सहभागिता निभाने की अपील की।
सेमिनार में स्वागत भाषण मिथिलेश सिंह ने दिया। उन्होंने पशुपालकों को संबोधित करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यशाला का आयोजन दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भरता लाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। उन्होंने कहा कि झारखंड मिल्क फेडरेशन द्वारा पशुपालकों को हर संभव सहयोग किया जा रहा है, ताकि दुग्ध उत्पादन के प्रति प्रेरित हों। वहीं, डॉ मनोज तिवारी ने विषय प्रवेश कराया। डॉ.विवेक श्रीवास्तव ने योजनाओं के क्रियान्वयन में सेमिनार के महत्व पर प्रकाश डाला। इंटास के सत्य प्रकाश ने दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य प्रबंधन संबंधी जानकारियां दी। वहीं, धनंजय कुमार सिंह ने गव्य सहकारिता से पशुपालकों को होने वाले लाभ के बारे में बताया। साथ ही गोबर व गोमूत्र का जैविक कृषि में उपयोग के बारे में पशुपालकों को विस्तृत जानकारियां दी गई। कार्यशाला के अंत में धन्यवाद ज्ञापन उपनिदेशक डॉ मनोज तिवारी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में तकनीकी पदाधिकारी वशिष्ट सिंह, सुरेश कुमार, मोहन जी लाल, त्रिशूल प्रकाश सहित अन्य का सराहनीय योगदान रहा। इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ देकर किया गया। पशुपालकों को झारखंड मिल्क फेडरेशन द्वारा मटर के छिलके का हरे चारे का अंचार बनाने की विधि की जानकारियां दी गई। बताया गया कि यह दुधारू पशुओं के लिए काफी लाभदायक है। कार्यशाला का सफल आयोजन गव्य विकास विभाग के प्रशिक्षण एवं प्रसार संस्थान के मुख्य अनुदेशक कौशलेंद्र कुमार सिंह की देखरेख में संपन्न हुआ। कार्यशाला में पूरे झारखंड से काफी संख्या में गोपालक शामिल हुए।
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