सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद खलील के अकस्मात पर भावपूर्ण श्रद्धांजली
****** गुलाम शाहिद ********* आज की सुबह जब मैं बेटे को स्कूल छोड़ने जा रहा था तो उससे कह रहा था, देखो तो कितनी अच्छी सुबह है. रोड पर शांति है, धुप में हलकी गर्मी है पर अच्छी चमकती सुबह है. उसे स्कूल से छोड़ कर जब मैं लौटा तो सोशल मीडिया पर एक समाचार ने मुझे स्तब्ध कर दिया. समाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद खलील का देहांत !! एकदम स्तब्ध कर देने वाली खबर !! पत्रकार आदिल के वाल से पता चला. उनका जाना एक guardian के जाने जैसा है. इसकी भरपाई अब संभव नहीं. खलील से मेरा सम्बन्ध 8 साल पुराना था. 8 सालों में हम जब भी मिले, बहुत आत्मीयता से मिले. जहाँ भी मिले, बहुत स्नेह और सम्मान के भाव से मिले. बतौर सोशल एक्टिविस्ट, वे समाज के मुद्दों को लेकर बेहद संजीदा थे. एक संजीदा इंसान जो उतने ही जिंदादिल भी. उनके साथ जो भी लोग होते, सहज भाव से हँसते और जब मुद्दों की बात आती तो उतनी ही गंभीरता से बात होती. सोशल सेक्टर में उन्होंने लगभग कई साल का समय गुजारा था और बेहद चर्चित इंसान थे. , सोशल सेक्टर के लिए सिकुड़ते स्पेस पर लगातार अपनी राय रखते।सोशल सेक्टर के लिए सिकुड़ते स्पेस पर लगातार अपनी राय रखते। फ्रेंड्स ऑफ वीकर सोसाइटी के महा सचिव थे। हमदर्दी कमिटी, इस्लामनगर के पूर्व अध्यक्ष थेl कोरोना काल में औरों की तरह वे भी इन एक्टिव थे. कोरोना काल के बाद उन्होंने अपनी गतिविधियां बढ़ायीं. इधर वे इस्लाम नगर विस्थापितों के लिए काम शुरू किए थे l परसो तक इसके सिलसिले में बात होती रही थी और आज फिर बात होनी थी. पर सुबह सुबह सब ख़त्म हो गया. उनका जाना बेहद खल रहा था. 65 साल की उम्र में वे बेहद एक्टिव थे, जिंदगी से भरे. उम्मीदों से भरे. बहुत काम करने थे. हमें लम्बा सफर तय करना था. एक दशक तो जरूर मैं सोच रहा था. यादों की परतें बनती चली जाती हैं. एकाकीपन में इन्ही यादों का सहारा होता है. जिंदगी रोज नए रंग दिखाती है. उन्होंने काफी लोगों की जिंदगी को छुआ है और बेहद सार्थक जीवन जिया है. खलील भाई को श्रद्धांजलि. आप हमेशा हमारी यादों में रहेंगे.
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