आज एक कमजोरों का दोस्त हमेशा के लिए इस दुनिया से विदा हो गया
फ्रेंड्स ऑफ़ विकर सोसाइटी जिसने समाज के कमजोरों को अपना दोस्त बनाया था, आज एक कमजोरों का एक दोस्त हमेशा के लिए इस दुनिया से विदा हो गया। अंजुमन इस्लामिया रांची के कार्यकारणी अध्यक्ष और फ्रेंड्स ऑफ़ विकर सोसाइटी के महासचिव मो. खलील का मंगलवार को देहांत हो गया। उन्होंने अपनी अंतिम सांसे रात को करीब 2:10 बजे ली। वो पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज राँची के राज अस्पताल में चल रहा था। उनके देहांत के बाद से रांची मुस्लिम जगत में एक शोक सी लहर दौड़ गई है। बड़े-बड़े दिग्गज उनकी मौत पर अपना दुख ज़ाहिर किया हैं।
मो. खलील रांची के इस्लामनगर में रहते थे। वो वफात से पहले फ्रेंड्स ऑफ़ विकर सोसाइटी के महासचिव के तौर पर कम कर रहे थे और 2018 से अबतक अंजुमन इस्लामिया रंचे के मजलिसे अमला के सदस्य थें। उनके नाम अनेकों उपलब्धियां है। दर्ज़नों संस्थाएं उनके बदौलत फल-फूल रही थीं। वे कांग्रेस पार्टी के सक्रीय सदस्य के रूप में भी काम किया है
1990 के दशक से मो. खलील इस्लामनगर में रहकर वहां के लोगों के लिए अपनी ज़िन्दगी को वक्फ कर चुके थे. खलील भाई सामाजिक कार्य के क्षेत्र में, विशेष रूप से शिक्षा, सामाजिक बुराइयों को दूर करने और गरीबों के अधिकारों के लिए लड़ने के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध नाम हैं। एक समय था जब इस्लामनगर में बहार से आकार जुआ खेला करते थे उन जुआरियो के खिलाफ अपनने दोस्तों के साथ मिलकर सब से पहला आन्दोलन किया जिसमे वहां के लोगों ने काफी मदद की, इस दौरान समाज के आसामाजिक तत्वों ने उन्हें जन से मारने की धमकी तक दे डाली थी वे, डरे नहीं औए अपना अन्दोलाओं जुआरियो के खिलाफ और तेज़ कर दिया, नतीजा मोहल्ले से जुआरियो का खतमा. मो. खलील ने अपने शुरुआती दिनों में इस्लामनगर को अपने सामाजिक कार्य का केंद्र बनाया और यही कारन रहा की विभिन सामाजिक संस्थानों ने खलील के साथ मिलकर काम करने क इच्छा जताई और कई संगठनों ने उनमे अपना भरोसा दिखाते हुए अपने अपने संस्थानों से जोड़ा। इसमें मुख्य रूप से जमात ए इस्लामी ,YMCA और बस्ती बचओव मंच रही।
सन 2001 हम चंद दोस्तों ने मो. खलील भाई के साथ मिलकर एक मुहीम तहरिएक ऐ इतिहाद की शुरुआत की थी जिसमे खलील भाई ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सन 2002 में हमलोग (जिसमे 10 -15 लोग शामिल थे) ने खलील भाई के साथ मिलकर समाज में तालीमी बेदारी के उद्देश से दी ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी का गठन किया जिसमे वे संस्थपक सदस्य थे . इस संसथान के तहद इस्लामनगर को 100% लिटरेसी के लिए एक प्रयोगशाला बनाया गया था। जिसमे मो. खलील भाई का अहम योगदान रहा था। इसी बिच खलील भाई ने राशन डीलरों के चोरी और बेईमानी के खिलाफ एक जंग छेड़ा जिसमे बहुत हदतक चोरी और बेईमानी में लगाम लगा। खलील भाई ने अपने सुभ्चिन्तकों के अनुरोध पर रांची नगर निगम का चुनाव भी लड़ा लेकिन मात्र 23 वोटों से चुनाव हर गएँ। सन 2009 में ज़रूरतमंद बच्चों के तालीमी किफ़ालत, स्कूल के बच्चों के ड्राप आउट और स्कालरशिप की ज़रूरत को धेयान में रखते हुए हम चंद लोगों फ्रेंड्स ऑफ़ विकर सोसाइटी का घठन किया था जिसमे मो. खलील भाई फाउंडर महा सचिव रहे। मरने से पहले तक इसी पद में सदस्यों की सहमती से बने रहे। । उन्होंने जल्दी ही महसूस किया कि रांची के सलम एरिया में शिक्षा प्रणाली की भारी कमी थी, और कई बच्चे आर्थिक तंगी के कारण स्कूल नहीं जा पा रहे थे। खलील भाई नेवंचित बच्चों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित करना शुरू कर दिया। उन्होंने कुछ प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए स्कूल के ज़ेमेदारों के साथ मिलकर भी काम किया। प्राइवेट स्कूलों के साथ मिलकर केंद्र सरकार दुवारा चलाये जा रहे माइनॉरिटी स्चोलाशिप का कैंप लगाकर छात्रों के बिच बेदारी पैदा करने का पूरा काम किया।
फ्रेंड्स ऑफ़ विकर सोसाइटी के सचव रहते उन्हों ने तालीम के मैदान में काफी काम किया था। ज़रूरतमंद छात्रों के लिए फ्रेंड्स ऑफ़ विकर सोसाइटी के दुवारा चलाये जा रहे फ्री अफमी कोचिंग जिसमे क्लास 9 , 10 और इन्टर साइंस के छात्रों के लिए चलाया जा रहा था उसके इंचार्ज के के तौर पर भी काम किया। खलील भाई के नेतृत्व में ही फ्रेंड्स ऑफ़ विकर सोसाइटी के दुवारा कक्षा 1 से कक्षा 6 तक के बच्चों के लिए होम वर्क गाइडइन्स सेण्टर चलाया गया।
खलील भाई ने अपनी राजनितिक और सामाजिक जीवन में सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए भी काम किया है और बदलाव लाने के लिए कई अभियानों और विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया है। मुख्यरूप से यूनाइटेड मिल्ली फोरम के एक सक्रीय सदस्य रहते झारखण्ड के लोगों में राजनितिक चेतना लाने के उद्देश्य से काफी काम किये। रमजान के दिनों में ज़रूरतमंद को तलाश कर सहयोगी संस्थानों के सहयोग से राशन और शर्दियों के दिनों में कम्बल वितरण करवाना इनका हर साल लगा रहता था। सन 2011 में जब झारखण्ड की सरकार ने सदियों से बसे इस्लामनगर निवासियों को उजड़ने का फैसला लिया और कोर्ट के आदेश को ढाल बनाकर दर्जनों बुलडोज़रों के साथ इस्लामनगर में धावा बोल दिया था।तब भी खलील भाई मोहल्लाहवासियों और समाज के बुधिजिओं के साथ मिलकर इस्लामनगर बचाव और पुर्निवास यौजना के लिए खूब लड़ाई लड़ी जिसमे कामयाबी मिली और कोर्ट ने सरकार को उसी जगह सरकारी खर्च पर फ्लैट बनाकर देने का आदेश दिया।
खलील भाई अंजुमन इस्लामिया के कार्यकारणी का सदस्य रहते अपनी ज़ेमेदारियो को ईमानदारी से निभाया और अंजुमन इस्लामिया के तरक्की में एक अहम रोले अदा किया। खासकर कर तालीम के मैदान में एक बड़ा रोले निभाया। अंजुमन इसलिमा स्टडी एंड कोचिंग सेण्टर का इंचार्ज रहते मौलाना आजाद स्टडी एंड कोचिंग सेण्टर को एक मुकाम तक पहुँचाने में काफी बड़ा योगदान दिया। उनके नेतृत्व में चलाये जा रहे विभिन कॉम्पीटेटिव एग्जामिनेशन से पढ़कर आज सैकड़ों छात्र सरकारी नौकरी कर रहे हैं। वह हमेशा से शैक्षिक और सामाजिक सेवाओं से बहुत करीब से जुड़े रहे थें, जिसके चलते उन्हें कई अवार्ड भी मिले। कोरोना जैसे वयस्विक महामारी के समय अंजुमन किचेन का का इंचार्ज बनकर महीनों तक ज़रुरतमंदों तक फ्री खाना वितरण किया। CAA और NRC के विरोध में जो आन्दोलन रांची के कडरु में किया गया उसमे भी खलील भाई ने काफी बड़ा योगदान और सहयोग रहा। उनके वफात के चंद महीने पहले उन्हें अंजुमन इस्लामिया रांची का लीगल सेल का इंचार्ज बनाया गया और उन्हों ने एक भारीभरकम वकीलों के साथ मिलकर एक मजबूत लीगल सेल का गठन किया साथ ही साथ माहि जैसे सामाजिक संसथान के संस्थापक सदस्य रहे और उसके कार्यों में बढ़ कर हिस्सा लिया। पिछले 30वर्षों में खलील भाई ने कई काम कियेमैं तो सिर्फ उनके दुवारा किये चंद कामों को ही दरसाया है। उन्के कमजोरों और पिछड़े समुदायों के उत्थान के लिए निरंतर संघर्ष के रूप में खलील भाई के जीवन को संक्षेप में एक उदहारण के तौर पर प्रस्तुत किया जा सकता है। आज खलील भाई की कमी पूरी समाज महसूस कर रही है शाएद ही कोई उनकी जहग लेसके। अल्लाह रब्बुल इज्ज़त से दुआ है की अल्लाह इनकी मगफिरत फरमाए और इनके दुवारा किय गए कामों को काबुल करे। लेखक तनवीर अहमद अध्यक्ष व् साथी मरहूम खलील भाई फ्रेंड्स ऑफ़ विकर सोसाइटी, रांची
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