कुरान को रमजान से और रमजान का कुरान से गहरा संबंध।
रांची : रमजान का मुबारक महीना चल रहा है। जो रहमत, मग़फ़िरत और जहन्नम से आज़ादी का महीना है। अल्लाह पाक इस महीने में मोमिन के कर्मों का सवाब दस से सात सौ गुना तक बढ़ा देता है। इसलिए इस महीने में इबादत, कुरान कि तिलावत ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए। अल्लाह ने रोजे का मकसद(तकवा) नफ्स पर कंट्रोल बताया है। रोजे में हर व्यक्ति को झूठ, छल, कपट, और वाद-विवाद से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि अल्लाह के रसूल सल्ल ने फरमाया है कि जो कोई रोज़ा रखे और झूठ बोले, धोखा दे और ऐसा करने से ना रुके तो अल्लाह को ऐसे इंसान के भूखे-प्यासे रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। इस महीने में, अल्लाह ने पवित्र कुरान को उतारा। कुरान को रमजान से और रमजान से निकटता से संबंधित हैं। अल्लाह के पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) रमजान के महीने में अक्सर पवित्र कुरान का पाठ करते थे। इसलिए हर मोमिन को चाहिए कि कुरआन की तिलावत करे और उसके माना मतलब को समझने की कोशिश करनी चाहिए। इसी तरह तरावीह में कुरान सुनने और पढ़ने का एहतमाम करें। हजरत मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अनवर कासमी काजी शरियत दारुल कजा इमारत शरिया रांची।
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