इक्फाई विश्वविद्यालय में शिक्षा में चैटजीपीटी के उपयोग पर वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित

 


इक्फाई विश्वविद्यालय में शिक्षा में चैटजीपीटी के उपयोग पर वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित 

 डिजिटल तकनीक के क्षेत्र में चैटजीपीटी क्रांतिकारी कदम : प्रो.ओआरएस राव

   विशेष संवाददाता 
रांची। इक्फाई विश्वविद्यालय, झारखंड में  सोमवार को शिक्षा में चैटजीपीटी (चैट जनरेटिव प्री-ट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर) के उपयोग के पक्ष और विपक्ष पर एक वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित की गई। वाद-विवाद में काफी संख्या में छात्र-छात्राएं व प्राध्यापकों ने भाग लिया।
छात्रों और संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए, इक्फाई विश्वविद्यालय, झारखंड के कुलपति प्रो.ओआरएस राव ने कहा कि चूंकि डिजिटल तकनीक हमारे दैनिक जीवन को बदल रही है, इसलिए शिक्षा क्षेत्र कोई अपवाद नहीं है। हालांकि, चैटजीपीटी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल शिक्षा में शिक्षण-सीखने की प्रक्रिया में क्रांति ला रहे हैं। चैटजीपीटी एक संवादात्मक मोड में छात्रों को प्रासंगिक और संक्षिप्त जानकारी प्रदान कर सकता है, जिससे समय और प्रयास की बचत होती है। हालांकि, इनपुट की शुद्धता की पुष्टि करने के बाद, महत्वपूर्ण सोच को सुविधाजनक बनाने के लिए इसे एक पूरक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।



चैटजीपीटी के पक्ष में बोलने वाले छात्रों ने एक विशाल ज्ञान आधार तक पहुंच जैसे लाभों के बारे में बताया, जो छात्रों को जानकारी का खजाना प्रदान कर सकता है और उन्हें व्यक्तिगत शिक्षा में मार्गदर्शन कर सकता है, जो पारंपरिक शिक्षा में संभव नहीं हो सकता है। काफी संख्या में छात्रों ने चैटजीपीटी के लिए पंजीकरण कराया है और प्रतियोगी परीक्षाओं और लिखित संचार कौशल की तैयारी में लाभान्वित हुए हैं।
  चैटजीपीटी के खिलाफ बोलने वाले छात्रों ने साहित्यिक चोरी की संभावना और छात्रों द्वारा महत्वपूर्ण सोच को प्रतिबंधित करने का उल्लेख किया, जिससे शिक्षा का उद्देश्य विफल हो गया। उन्होंने चैटजीपीटी की सीमाओं पर भी प्रकाश डाला, जैसे सीमित ज्ञान आधार और सॉफ्टवेयर को प्रदान किए गए प्रशिक्षण के कारण त्रुटियों की संभावना, मानव संपर्क की कमी और भावनात्मक बुद्धिमत्ता।
विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राज कुमार ने बताया कि कैसे वे छात्रों द्वारा कक्षाओं को अधिक रोचक और सहभागी बनाने के लिए चैटजीपीटी का उपयोग कर रहे हैं।
 शीर्ष तीन प्रतिभागियों को मान्यता पुरस्कार प्रदान किए गए। प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार प्रियांशु (बीबीएएलएलबी सेमेस्टर IV), मिलिंद बिस्वास (बीसीए, सेमेस्टर VI) और यशराज (बीसीए, सेमेस्टर VI) को प्रदान किए गए। प्रबंधन अध्ययन संकाय के सहायक डीन डॉ.भागवत बारिक ने मूल्यांकन के आधार के बारे में बताया और पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी।
कार्यक्रम का आयोजन आईटी संकाय द्वारा किया गया, जिसका समन्वय डॉ.अभय सिन्हा और विभाग के संकाय सदस्यों ने किया। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय की बीसीए छात्रा राजनंदानी ने किया।

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