ओम और अल्लाह एक हैं, इसे समझने के लिए कुरान को समझना होगा: चतुर्वेदी
दुनियावी शिक्षा से पहले अपने बच्चों को दीनी शिक्षा दे: नज़र तौहीद
मदरसा इलियास आजाद अरशद उलूम कांठी टांड रातू रांची में जलसा ए दस्तरबंदी का आयोजन
रांची: ओम और अल्लाह एक हैं, यह समझने के लिए कुरान को समझना होगा। कुरान को पढ़े और समझे बिना हम ओम और अल्लाह को नहीं समझ सकते। आज जरूरत है हमारे नौजवानों को कुरान पर रिसर्च करने की। उक्त बातें इस्लामिक स्कॉलर खतीब हिंदुस्तान हजरत मौलाना अब्दुल्लाह सालीम कमर चतुर्वेदी ने कहीं। वह बुधवार की रात्रि मदरसा इलियास आजाद अरशद उलूम कांठी टांड रातू रांची के जलसा में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि लोगों अपने बच्चों को सामाजिक और धार्मिक शिक्षा दो। मुस्लिम स्वार्थ का मुखौटा उतारो। ब्रह्म सुत्र को जाने बिना कोई सच्चा हिंदू नहीं हो सकता। मुसलमानों को वास्तव में कुरान से प्यार करना चाहिए। पंडित केवेल आनंद जोशी नाम का गैर मुस्लिम अगर कुरान से प्यार करता है तो आग उसके शरीर को नहीं जलाती। अंत में पंडित जोशी जी को लाहौर में दफनाया जाता है।
जलसे की अध्यक्षता करते हुए काजी शरीयत व शेख अल-हदीस जामिया रशीद उलूम चतरा हजरत मौलाना मुफ्ती नजर तौहीद मजाहिरी ने कहा कि कुरान के हाफिज को दुनिया में कुछ मिले या नहीं लेकिन आख़िरत में उसके और उसके परिवार के दस सदस्यों का स्वर्ग मिलेगा। अपने बच्चों को शिक्षा से जोड़ो। वहीं, मौलाना फिरोज कासमी नदवी ने अपने भाषण में कहा कि इस दुनिया में आने का मकसद अल्लाह की इबादत करना है। क्या हमने अपने पड़ोसियों का हक अदा किया है, अपने भाई का हक, अपनी बहन का हक अदा किया है? वहीं, जब हजरत मौलाना मुफ्ती इमरान नदवी ने अपने भाषण में कहा कि "यदि आप सीधे मार्ग चाहते हैं, तो पवित्र कुरान का पालन करें।" दोनों जहां में सफल तय है। इसके अलावा मदरसा इलियास आजाद अरशदुल उलूम कांठी टांड रातू रांची के मकसद को बताया। खतीब जीशान हजरत मौलाना अकरम कासमी ने अपने भाषण में कहा कि हाफिज की याद दाशत सात गुना बढ़ जाती है जब अपने बच्चों को दुनियावी तालीम देने से पहले उन्हें हाफिज कुरान बनाये। वहीं ग्रामीण एसपी नौशाद आलम अंसारी ने कहा कि अमन-चैन रहेगा तभी हमारा समाज आगे बढ़ेगा। हम सबको आपसी भाईचारा और प्यार को फैलाना चाहिए। जलसे की शुरुआत झारखंड के प्रसिद्ध कुरान वाचक मौलाना कारी सुहेब अहमद कासमी के तिलावत कुरान से हुई। नात पाक अशफाक बहराइचवी और मुमताज आतिफ ने पढ़ा। अशफाक बहराइचवी ने जब पढ़ा कि बच्चों को अपना साहब ईमान बनाओ, कुरान पढ़ाओ, कुरान पढ़ाओ, एमबीए कराओ, इन्हे बीटेक भी कराओ, पर शर्त है पहले मुसलमान बनाओ। वहीं जब कारी मुमताज आतिफ ने पढ़ा कि मेरा इस्लाम जिंदा है, मेरी पहचान जिंदा है। मुसलमानों के दिल में ईमान जिंदा है। जलसे का संचालन हिंदुस्तान के भाषाविद् के विशेषज्ञ मुजाहिद हसनैन हबीबी ने किया। 7 हुफ्फाज ए कराम को पगड़ी बांधकर सर्टिफिकेट दी गई। हजरत मौलाना मुफ्ती अब्दुल्लाह सालिम कमर चतुर्वेदी की दुआ के साथ जलसा संपन्न हुई।
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