******** गुलाम शाहिद **** रांची l इस्लाम में शब-ए-बारात त्योहार की काफी अहमियत है. इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से आठवां यानी शाबान के महीने की 15वीं तारीख की रात में शब-ए-बारात मनाई जाती है जो मंगलवार को देश भर में मनाई जा रही है. शब-ए-बारात इबादत, फजीलत, रहमत और मगफिरत की रात मानी जाती है. इसीलिए तमाम मुस्लिम समुदाय के लोग रात भर इबादत करते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं. मंगलवार सात मार्च की शाम को मगरिब की अजान होने के साथ शब-ए-बारात मनाना शुरू करेंगे और बुधवार को शाबान का रोजा भी रखा जाएगा. शब-ए-बारात के त्योहार की रात की काफी अहमियत है. इस पूरी रात मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद और घरों में इबादत करते हैं. मुस्लिम समुदाय के लोग अपने पूर्वजों की कब्र पर जाकर फातिहा पढ़ते हैं और उनके मगफिरत के लिए दुआ करते हैं.
मुसलमान औरतें इस रात घर पर रह कर ही नमाज पढ़ती हैं, कुरान की तिलावत करके अल्लाह से दुआएं मांगती हैं और अपने गुनाहों से तौबा करती हैं. . हालांकि इस दिन अल्लाह सबको माफी देते हैं लेकिन वो लोग जो मुसलमान होकर दूसरे मुसलमान से वैमनस्य रखते हैं, दूसरों के खिलाफ साजिश करते हैं और दूसरे की जिंदगी का हक छीनते हैं उनको अल्लाह कभी माफ नहीं करता है.इसके अलावा शराबी, मां-बाप को तकलीफ पहुंचानेवाला, जादूगर, चुगलखोर व सूदखोर की माफी नहीं होती। बताया जाता है कि इस रात में की गई इबादत बाकी दिनों की इबादत से महत्वपूर्ण होती है. इस रात दुआ कर अपने गुनाहों की माफी मोंगें. घूमने फिरने में समय बर्बाद न कर इस समय को इबादत में लगाएं.शब-ए-बरात का त्योहार पवित्र है। इस अवसर पर लोग पूरी रात जागकर खुदा की इबादत करते हैं। अपने पूर्वजों को याद करते हैं। उनके मगफिरत (चिर शांति) के लिए दुआओं के साथ-साथ समस्त इंसानियत के फलहा व बहबूद, विश्व शांति और भाईचारे के लिए खुदा से दुआएं करते हैं। राज्यवासियों से अपील है कि वे इस पवित्र त्योहार को आपसी मेल-जोल और सौहार्द्र के वातावरण में मनाएं।
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