होपवेल हॉस्पिटल में पहली बार पेनक्रियाज कैंसर से पीड़ित दो मरीजों की हुई सफल सर्जरी

 


 रांची। राजधानी के कर्बला चौक स्थित अत्याधुनिक सुविधा युक्त होपवेल हॉस्पिटल में पेनक्रियाज कैंसर से पीड़ित दो मरीजों की सफल सर्जरी की गई। इस संबंध में होपवेल हॉस्पिटल के व्यवस्थापक व प्रख्यात जीआई एवं एडवांस लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. शाहबाज आलम ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि खूंटी निवासी 60 वर्षीय महिला रिजवाना खातून और चान्हो निवासी लगभग 55 वर्षीय महिला नजमा खातून के पेनक्रियाज में बने ट्यूमर की सफल सर्जरी की गई। उन्होंने बताया कि लीवर ट्रांसप्लांट के बाद इस प्रकार का पेट का यह सबसे जटिल ऑपरेशन है। इसे व्हिपल( whipple')सर्जरी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि खूंटी निवासी मरीज रिजवाना खातून पेट में दर्द की शिकायत लेकर आई थी। अपच, उल्टी और  भूख न लगना आदि की समस्या से पीड़ित थीं। उनके परिजनों ने यहां संपर्क किया। तत्पश्चात डॉ. शाहबाज आलम ने एंडोस्कोपी, सीटी स्कैन सहित अन्य सभी आवश्यक जांच करने के बाद यह कंफर्म किया कि मरीज को पेनक्रियाज में ट्यूमर है, कैंसर का भी संदेह है। इसके लिए मरीज के परिजनों की सहमति से सर्जरी की तैयारी की गई। 

 पेनक्रियाज में कैंसर प्रथम स्टेज में था। इसलिए चिकित्सक ने परिजनों को बताया कि ऑपरेशन कर देने से ठीक हो जाएगा। इसके बाद  लगभग 6 घंटे का ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के लिए डॉक्टर शाहबाज आलम की अगुवाई में चिकित्सकों की विशेष टीम एवं एनेस्थेटिस्ट डाॅ.राजीव को साथ लेकर मरीज की सर्जरी की गई। डॉ. आलम ने बताया कि इस प्रकार की सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण था। इसमें मोर्टिलिटी रेट भी अधिक होती है। बची हुई पैंक्रियास को आंत से जोड़ना, लीवर की नली को भी आंत से जोड़ना, यह विशेषज्ञ जीआई सर्जन ही कर सकते हैं।

 इस प्रकार की सर्जरी के बाद मरीज को काफी निगरानी में रखा जाता है। अभी मरीज बिल्कुल स्वस्थ्य और सामान्य हैं। उनका बचा हुआ पैंक्रियास पूर्व की भांति काम करने लगा है। 

 उन्होंने बताया कि पांच साल तक यदि ट्यूमर फिर से विकसित नहीं करता है, तो मरीज का पैनक्रियाज पूरी तरह से कैंसर फ्री हो जाएगा।

 वहीं, दूसरी मरीज नजमा खातून (चान्हो निवासी) की भी पैनक्रियाज कैंसर के कारण लिवर की नली(CBD) ब्लॉक हो जाने के कारण मरीज को जॉन्डिस हो गया था। लेकिन होपवेल हॉस्पिटल में आने के बाद उनमें आशा की किरण जगी।  मरीज की सभी आवश्यक जांच कराई गई। उसके बाद परिजनों की सहमति से विशेषज्ञ एवं प्रशिक्षित जीआई सर्जन  डॉ.शाहबाज आलम एवं उनकी ने ऑपरेशन किया और इस में सफल रहे। 

उन्होंने बताया कि लिवर ट्रांसप्लांट के बाद पेट की इस प्रकार की पेनक्रिएटिक कैंसर की सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण होती है। इसकी सर्जरी विशेषज्ञ और प्रशिक्षित चिकित्सक ही कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि  होपवेल हॉस्पिटल में पूर्व में अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों और आधारभूत संरचना नहीं होने के कारण इस प्रकार की सर्जरी नहीं की जा सकती थी। लेकिन अब अस्पताल में इस प्रकार की सर्जरी के लिए आवश्यक चिकित्सा उपकरण और विशेषज्ञ प्रशिक्षित चिकित्सकों की सेवाएं उपलब्ध है। इसलिए यह सर्जरी संभव हो सका।

एक पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में डॉ. शाहबाज आलम ने कहा कि उनका विजन है कि होपवेल हॉस्पिटल में लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा भी उपलब्ध कराएं। इस दिशा में वह भी प्रयासरत हैं। इसके लिए सभी आवश्यक चिकित्सा उपकरण और आधारभूत संरचनाएं विकसित करने के प्रति वे गंभीर हैं।

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